प्रति बूंद अधिक फसल योजना : दिन भर चले अढ़ाई कोस!
दो में दो को जोड़ने से हमेशा चार ही आये यह जरुरी नहीं- वह पांच..सात..दस कुछ भी हो सकता है. बात विचित्र लगती हो प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत चलाये जा रहे ‘प्रति बूंद अधिक फसल' के आंकड़ों पर गौर कीजिए.
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के डैशबोर्ड पर दिख रहा आंकड़ा बताता है कि ‘प्रति बूंद-अधिक फसल' कार्यक्रम के तहत वित्तवर्ष 2017-18 में 11.25 लाख हेक्टेयर जमीन माइक्रो-सिंचाई के अंतर्गत लायी गई है.
लेकिन बीते 11 दिसंबर को लोकसभा में एक अतारांकित प्रश्न(संख्या-5) के जवाब में कहा गया कि प्रति बूंद अधिक फसल अभियान के तहत 10.48 लाख हेक्टेयर जमीन माइक्रो-सिंचाई सुविधा के दायरे में आ सकी है.
जाहिर है, साल 2017-18 में प्रति बूंद अधिक फसल के अंतर्गत माइक्रो-सिंचाई की सुविधा के दायरे में आयी जमीन को लेकर जो आंकड़ा संबंधित डैशबोर्ड पर दिखाया गया है वह लोकसभा में दिये गये जवाब से मेल नहीं खाता. ऐसे में सवाल उठेगा कि किस आंकड़े को सही माना जाये- 11.25 लाख हैक्टेयर को जैसा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की वेबसाइट पर बताया गया है या फिर 10.48 लाख हैक्टेयर को जैसा कि लोकसभा में उठे सवाल के जवाब में कहा गया ? दरअसल, जवाब ढूंढने चलो तो मुश्किल यहीं खत्म नहीं होती. अगर डैशबोर्ड पर प्रदर्शित आंकड़े की तुलना लोकसभा मे दिये गये जवाब के तथ्यों से करें तो दिखता है कि साल 2016-17 तथा 2017-18 में माइक्रो-सिंचाई योजना के अंतर्गत लायी गई भूमि के आंकड़े के एतबार से दोनों में कोई अन्तर नहीं है.
डैशबोर्ड पर प्रदर्शित प्रति बूंद अधिक फसल के आंकड़ों पर गौर करें तो यह भी दिखता है कि अभियान अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने में नाकाम रहा. साल 2017-18 के लिए इस अभियान में 12 लाख हैक्टेयर भूमि को सूक्ष्म-सिंचाई योजना के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन लाया जा सका 11.25 लाख हैक्टेयर जमीन को. और, अगर चालू वित्तवर्ष की बात करें तो निर्धारित लक्ष्य(16.0 लाख हैक्टेयर) की तुलना में उपलब्धि अभी तक ( 7.57 लाख हैक्टेयर, 13 फरवरी 2019 तक) बहुत कम रही है.
लोकसभा में एक तारांकित प्रश्न ( संख्या 228) का जवाब देते हुये केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 27 दिसंबर 2018 को कहा कि प्रति बूंद अधिक फसल अभियान के सहारे माइक्रो-इरिगेशन के दायरे में 2015-16 से 2019-20 तक 10 मिलियन हैक्टेयर भूमि लाने का लक्ष्य था लेकिन 2015-16 से 2017-18 की अवधि में सिर्फ 2.46 हैक्टेयर भूमि की अभियान के तहत माइक्रो-इरिगेशन के दायरे में लायी जा सकी है.
पाठकों को याद होगा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना(पीएमकेएसवाय) साल 2015-16 में शुरु हुई. इसका लक्ष्य खेतों में पानी की पहुंच बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई सुविधा वाली कृषि भूमि के दायरे का विस्तार करने के साथ-साथ सिंचाई के पानी का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है. योजना का एक उद्देश्य जल-संरक्षण की पहलकदमी करना और उन्हें बढ़ावा देना भी है.
गौरतलब है कि प्रति बूंद अधिक फसल अभियान के लिए बजट आबंटन में कमी आयी है. इस अभियान के पर साल 2018-19 में कुल बजट-व्यय का 0.164 फीसद(बी.ई) खर्च हुआ जो साल 2019-20(बी.ई.) में घटकर 0.126 प्रतिशत हो गया है. प्रति बूंद अधिक फसल अभियान के लिए साल 2018-19 के बजट में जीडीपी का 0.021 प्रतिशत आबंटित हुआ था जो 2019-20(बी.ई.) में घटकर 0.017 प्रतिशत रह गया.
इस कथा के विस्तार के लिए कृपया निम्नलिखित लिंक देखें:
Notes on Demands for Grants 2019-20 for the Department of Agriculture, Cooperation and Farmers' Welfare, please click here to access
Output-Outcome Framework 2018-19, please click
here to access Output-Outcome Framework 2017-18, please click here to access
Press Note on First Advance Estimate of National Income 2018-19, released on 7 January, 2019, Ministry of Statistics and Programme Implementation, please click here to access
Numbers That Count: An Assessment of the Union Budgets of NDA II -Centre for Budget and Governance Accountability (CBGA), February, 2019, please click here to access
Dashboard of PMKSY-Per Drop More Crop, https://pmksy.gov.in/mis/frmDashboard.aspx
Lok Sabha Starred Question no. 228, to be answered on 27th December, 2018, please click here to access
Lok Sabha Unstarred Question No. 5 for reply on 11th December, 2018, please click here to access
Lok Sabha Unstarred Question No. 75 for reply on 11th December, 2018, please click here to access
Budget at a Glance 2019-20, please click here to
access Budget at a Glance 2018-19, please click here to access |
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