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भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं पर वालिया निशान लगातीं नई कोयला खदानें

द थर्ड पोल, 19 फरवरी भारत के पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने 9 दिंबर को कॉप-28 के दौरान, उत्र्जन कटौती में देश की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए पेरि मझौते के प्रति देश के “भरोे और विश्वा” की पुष्टि की। लेकिन यह घोषणा महज तीन दिन पहले की गई एक अन्य घोषणा के उलट दिखाई देती है, जब कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि भारत, जीवाश्म...

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तमिलनाडु में चक्रवात ओखी के छह ाल बाद भी मानिक ्वा्थ्य े जूझते लोग

मोंगाबे हिंदी, 19 फरवरी  30 नवंबर, 2017 का दिन था, भारत के दक्षिणी छोर पर तटीय जिले कन्याकुमारी के गहरे मुद्र के मछुआरों ने खुद को एक बहुत ही खतरनाक चक्रवाती तूफान में फंा पाया। भारत मौम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने एक दिन पहले यानी 29 नवंबर, 2017 को भारी बारिश और तेज हवाओं की चेतावनी जारी कर दी थी। मछली पकड़ने वाले मुदाय को दोपहर 2:30 बजे के आपामुद्र में...

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आखिर क्यों ्थिर हो गयी है गिद्धों के कुछ प्रजातियों की आबादी ?

इंडिया्पेंड, 19 फरवरी कार्बेट टाइगर रिजर्व े उड़ा एक शिकारी परिंदा, फेद दुम वाला गिद्ध, करीब 200 किमी दूर देहरादून के पा ेलाकुई क्षेत्र के आपा डेरा डाले हुए है। क्या इतनी लंबी उड़ान का उद्देश्य भोजन है, ाथी की तलाश है, क्या वह यहां अपना घोंला बनाएगा, या वाप लौटेगा, ऐे कई वाल हैं, जिनके जवाब, उके दो पंखों के बीच लगे ैटेलाइट टैग े मिलेंगे। इन शिकारी पक्षियों की मौजूदा...

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देव अरण्य: विधानभा के ंकल्प, ुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के बावजूद बढ़ता कोयला खनन

मोंगाबे हिंदी, 19 फरवरी छत्तीगढ़ में बहुचर्चित हदेव अरण्य के जंगल में पेड़ों की कटाई जारी है। राज्यपाल े लेकर विधानभा तक ने, हदेव अरण्य में कोयला खदानों पर रोक लगाने की बात कही है। यहां तक कि छत्तीगढ़ रकार ने खुद ुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दे कर किी नई कोयला खदान को गैरज़रुरी बताया है। छत्तीगढ़ के आदिवाी 1878 वर्ग किलोमीटर में फैले हदेव अरण्य के घने जंगल में कोयला...

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एमएपी की कानूनी गारंटी- खाद्य ुरक्षा और किान की जीवन रेखा

 डाउन टू अर्थ, 19 फरवरी न्यूनतम मर्थन मूल्य (एमएपी) की अनुशंा केंद्र रकार द्वारा की जाती है। इका उद्देश्य किानों को उनकी कृषि उपज के लिए न्यूनतम लाभकारी मूल्य दिलाना, बाजार में मुद्रा्फीति को नियंत्रित करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और देश की खाद्य ुरक्षा ुनिश्चित करना है। एमएपी की शुरुआत 1966-67 में की गई थी, जब भारत में खाद्य पदार्थों की भारी कमी थी। तब रकार ने घरेलू खाद्यान्न...

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