इस साल फल और शाक-सब्जियों का उत्पादन अनाज से ज्यादा..!

इस साल फल और शाक-सब्जियों का उत्पादन अनाज से ज्यादा..!

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published Published on Mar 6, 2017   modified Modified on Mar 6, 2017
उम्मीद है कि इस बार भी बागवानी के क्षेत्र में उत्पादन खाद्यान्न उत्पादन से ज्यादा रहेगा. यह चलन बीते पांच सालों से जारी है.

 

बहरहाल, 2014-15 और 2015-16 के मुकाबले इस फसली वर्ष में वानिकी-उत्पाद में बड़ी मामूली वृद्धि होने का पूर्वानुमान है. इन दोनों सालों में देश के ज्यादातर राज्यों ने सूखे का सामना किया था.

 

इस साल 2014-15 के मुकाबले वानिकी-उत्पादन में 2.2 फीसद और 2015-15 की तुलना में 0.4 फीसद वृद्धि का अनुमान है. ये दोनों ही साल अधिकतर राज्यों के लिए सूखे के साल साबित हुए. 2013-14 का साल मॉनसूनी बारिश के लिहाज से सामान्य साल साबित हुआ और इस साल के मुकाबले 2016-17 में बानिकी के क्षेत्र में उत्पादन 3.6 फीसद ज्यादा होने का अनुमान है.


(विस्तार के लिए देखें नीचे दी गई तालिका जिसमें अलग-अलग सालों का वानिकी-उत्पादन और खाद्यान्न उत्पादन(मिलियन टन) दिखाया गया है. तालिका पत्र सूचना कार्यालय की विज्ञप्ति तथा कृषिमंत्रालय के खाद्यान्न- उत्पादन(2016-17) और वानिकी-उत्पादन(2011-12) के आकलन आधारित है. तालिका में वानिकी-उत्पादन के आंकड़े 17 फरवरी 2017 को जारी पहले एडवांस एस्टिमेटस् से लिए गए हैं जबकि खाद्यान्न उत्पादन के आंकड़े 15 फरवरी 2015 को जारी दूसरे एडवांस एस्टीमेटस् के हैं. साथ में वानिकी-उत्पादन संबंधी पत्रसूचना कार्यालय की यह विज्ञप्ति भी देखें)

 

वानिकी और खाद्यान्न उत्पादन- एक तुलनात्मक आकलन


साल 2015-16 और 2016-17 के बीच खाद्यान्न उत्पादन में 8.1 फीसद की बढ़त का अनुमान है लेकिन वानिकी-उत्पादन में केवल 0.4 फीसद की ही बढ़त की उम्मीद जतायी गई है. पिछले साल की तुलना में फलों के उत्पादन में 2 फीसदी की बढ़त की उम्मीद है लेकिन शाक-सब्जियों का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले केवल 0.3 फीसद बढ़ सकता है.

 

गौरतलब है कि इंडिया मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट की रिपोर्टों के मुताबिक देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान(जून-सितंबर) 2012 में 92 फीसद, 2013 में 106 फीसद, 2014 में 88 फीसद, 2015 में 86 प्रतिशत और 2016 में 97 प्रतिशत वर्षा रिकार्ड की गई.

 

विगत 17 फरवरी 2017 को कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी फर्स्ट एडवांस एस्टिमेटस् ऑफ हार्टिकल्चर प्रॉडक्शन इन 2016-17 के मुताबिक:

 

* साल 2016-17 में वानिकी उत्पादन 287.3 मिलियन टन होने का अनुमान है. यह 2015-16 की तुलना में ज्यादा तो है लेकिन बहुत कम.


* फलों का उत्पादन 92 मिलियन टन होने के अनुमान हैं. यह पिछले साल के मुकाबले 2 फीसद ज्यादा है.


* सब्जियों का उत्पादन 168.6 मिलियन टन होने का अनुमान है. यह पिछले साल की तुलना में 0.3 फीसद कम है.


* मसालों का उत्पादन 7 मिलियन टन होने के अनुमान हैं. यह पिछले साल के उत्पादन के लगभग बराबर है.


* प्याज का उत्पादन 197 लाख टन होने का अनुमान है. यह पिछले साल की तुलना में 6 फीसद ज्यादा है. अगर पिछले पांच सालों में हुए औसत प्याज-उत्पादन का ध्यान रखें तो इस साल प्याज का उत्पादन 5 फीसद ज्यादा हुआ है.


* आलू का उत्पादन 439 लाख टन होने का अनुमान है. यह पिछले साल की तुलना में 1 प्रतिशत ज्यादा है.


* टमाटर का उत्पादन 189 लाख टन होने का अनुमान है. यह पिछले साल की तुलना में 1 प्रतिशत ज्यादा है.

 

इस कथा के विस्तार के लिए देखें निम्नलिखित लिंक्स--

 

Final Estimate of 2015-16 & First Advance Estimates for 2016-17 of Area & Production of Horticulture Crops, Press Information Bureau, Ministry of Agriculture, 17 February, 2017, please click here to access

 

Horticulture Production Outpacing Production of Foodgrains, Press Information Bureau, Ministry of Agriculture, 4 March, 2016, please click here to access

Area and Production of Horticulture Crops 2011-12 (final), Ministry of Agriculture, please click here to access

 

 

Second advance estimates of foodgrain production in 2016-17, released on 15 February, 2017, Ministry of Agriculture and Farmers Welfare, please click here to access

Bumper foodgrain output expected in 2016-17 but production during rabi may be lower vis-a-vis 2013-14, Newsalert from Inclusive Media for Change dated 17 February, 2017, please click here to read more

Acreage Under Rabi Crops Declined In 2016-17 As Compared To 2013-14, Newsalert from Inclusive Media for Change dated 25 January, 2017, please click here to read more

Right to food activists demand for safeguards to reduce hardships of demonetisation, Newsalert from Inclusive Media for Change dated 30 December, 2016, please click here to read more

Motive behind demonetisation is justifiable but there may be collateral damage, Newsalert from Inclusive Media for Change dated 14 November, 2016, please click here to read more



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