आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी : कब क्या प्रोडक्ट खरीदेंगे पहले ही बता दिया
गजेंद्र विश्वकर्मा, इंदौर। आपको कौन से कपड़े पसंद हैं? कौन सा डिजाइन आपको अच्छा लगेगा? किस रंग के प्रति आपका ज्यादा झुकाव है? यह सब पता करके यदि कम्प्यूटर आपको ऑनलाइन भेज दे तो सोचिए आपकी शॉपिंग कितनी आसान हो जाएगी। दुनियाभर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी (एआई) के जरिए इस तरह के प्रयोग चल रहे हैं। इंदौर की आईटी कंपनी भी इसमें जुटी हुई है। डिजिटल मार्केटिंग का रूप बदलकर वो इस पर शोध कर रही है कि परिवार के सदस्य किस समय क्या प्रोडक्ट खरीद सकते हैं।
कंपनी का दावा है कि 60 फीसदी मामलों में जानकारी सही निकली कि परिवार का कौन सा सदस्य क्या खरीदेग। यह प्रयोग यूएस की बच्चों के कपड़े बेचने वाली लेनी लिआंस कंपनी पर किया गया। उन्होंने पिछले सालों के डेटा लिए। इन्हें बिग डेटा और मशीन लर्निंग तकनीकी के साथ जोड़ा गया। आईटी कंपनी का दावा है कि प्रदेश में पहली बार इस तरह की एआई अल्गोरिदम बनाई गई है। गूगल पर बताए जाने वाले विज्ञापन में भी एआई का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन इसमें एक्यूरेसी रेट 8 से 10 फीसदी का है। पिता ने टैटू प्रिंट खरीदा तो मां ने फूल वाला एक परिवार के पांच सदस्यों के शॉपिंग के पिछले तीन साल के डेटा एकत्रित किए गए। बच्चों के कपड़े खरीदते समय जब पिता की पसंद को देखा गया तो पता चला कि वे बारबार टैटू और गेम्स प्रिंटेड कपड़े खरीद रहे थे। वहीं मां फूल और प्रकृति से संबंधित प्रिंटेड कपड़ों को ज्यादा पसंद कर रही थी। इंदौर से भी कुछ डेटा लिए गए। इसमें एक यूजर ने इंदौर के सुपर मार्केट से 2016 में बैटमैन प्रिंटेड टीशर्ट खरीदी। 2017 में जब वे दिल्ली में थे तब एक टीशर्ट और खरीदी गई। इसमें टॉम एंड जेरी की तस्वीर प्रिंट थी। तीसरे साल यानी 2018 के डेटा भी देखे गए। इसमें सामने आया कि इस साल 2016 में खरीदी गई टीशर्ट की तरह ही बैटमैन प्रिंटेड टीशर्ट खरीदी गई। दिमाग पढ़कर उसी तरह का डेटा पेश करेगा कम्प्यूटर कस्टमर्स के इन सभी डेटा को बिग डेटा और मशीन लर्निंग तकनीकी में एकत्रित किया गया। कम्प्यूटर को सिखाने के लिए एआई अल्गोरिदम बनाया गया। इससे कम्प्यूटर भी इंसानों की तरह शॉपिंग करने वाले के पिछले रिकॉर्ड का एनालिसिस कर प्रोडक्ट बताने लगा। कस्टमर के सामने ऑनलाइन विज्ञापन दिखाए गए, जो सामान वे पिछले समय में खरीदते रहे हैं। 100 में से 60 फीसदी मामलों में वही प्रोडक्ट खरीदे गए जो कम्प्यूटर पहले ही बता चुका था। क्या है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी का मतलब ऐसा सिस्टम विकसित करना जो कृत्रिम रूप से सोचने, समझ्ाने एवं सीखने की क्षमता रखता हो जैसे कि इंसान रखता है। मतलब कि एक ऐसा सिस्टम जो व्यवहार प्रतिक्रिया देने में दक्ष हो और इंसान से भी बेहतर हो। फेसबुक में जिस तरह फ्रेंड सजेशन का ऑप्शन दिखाई देता है वह भी एआई का एक हिस्सा है। अब तक ऑनलाइन दिखाए जाने वाले विज्ञापन यूजर के पसंद के हैं या नहीं, यह पता लगाना मुश्किल होता था। एआई से कम्प्यूटर ही आपको कपड़े या सामान पसंद करवा देगा। 60 मामलों में सही परिणाम सामने आए हैं। - शशांक चौरे, सीईओ, इंडिया इंफोटेक एआई पर दुनियाभर में तेजी से काम हो रहा है। उपभोक्ता के पिछले सालों के रिकॉर्ड बिग डेटा और मशीन लर्निंग में लेकर अल्गोरिदम तैयार किए जाते हैं। इससे उपभोक्ता की इच्छाएं और रुचि कम्प्यूटर को पता लगती है। इस तरह के सिस्टम पर दुनिया की बड़ी शॉपिंग कंपनियां काम कर रही हैं। इसमें अगर शहर की कंपनी के पास 60 फीसदी परिणाम सही निकले हैं तो यह बड़ी बात है। - प्रो. डॉ. राजकमल, कम्प्यूटर साइंस व पूर्व कुलपति डीएवीवी कम्प्यूटर इंसान के दिमाग से आगे निकल चुका है। मशीन लर्निंग सिस्टम के तहत कम्प्यूटर में डेटा एकत्र कर उसे स्वचलित परिणाम देने के लिए अल्गोरिदम बनाने होते हैं। इस तरह की रिसर्च से इंसान को किस समय, किस जगह, किन सामानों की जरूरत होगी, पता लगाना आसान हो गया है। - प्रो. डॉ. डीए मेहता, एसजीएसआईटीएस |
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