Resource centre on India's rural distress
 
 

इस साल बढ़ेगा जीडीपी का आकार-- डा. जयंतीलाल भंडारी

विभिन्न आर्थिक चुनौतियों के बीच 2018 की तुलना में 2019 में भारत की जीडीपी का आकार बढ़ेगा. परिणामस्वरूप भारत की संभावित विकास दर भी 7.5 फीसदी से अधिक होगी. साथ ही दुनिया के परि²दृश्य पर 2019 में भी भारत सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा. वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमत घटकर 50 डॉलर प्रति बैरल हो जाने से भी भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी लाभ होगा. साथ ही वर्ष 2019 में किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए दिये जानेवाले आर्थिक प्रोत्साहनों तथा उनके हितों के लिए विभिन्न नयी योजनाओं से भी अर्थव्यवस्था को लाभ होगा.


यकीनन नये वर्ष 2019 में देश की अर्थव्यवस्था में कर सुधारों का नया परिदृ²श्य दिखायी देने की संभावनाएं हैं. टैक्स रिफंड के लिए मैन्युअल रिकॉर्ड और प्रक्रिया की बड़ी खामी को दूर किया जायेगा. वास्तविक व्यवहार में आ रही जीएसटी दरों से संबंधित कई उलझनों का निराकरण किया जायेगा और जीएसटी पोर्टल को अधिक सक्षम बनाया जायेगा. जीएसटी की एकल मानक दर लागू होगी और एक विवरणी दाखिल करने की सुविधा भी होगी. निस्संदेह इससे अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा.


इसमें कोई दो मत नहीं है कि जीएसटी लागू होने के बाद देश की अर्थव्यवस्था पर जीएसटी का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. वैश्विक संगठनों ने कहा कि आर्थिक विकास दर सुस्त रहने की एक प्रमुख वजह जीएसटी का लागू होना है. यद्यपि विकास दर में कमी जीएसटी के पहले भी आनी शुरू हो गयी थी, लेकिन जीएसटी ने इसमें तेजी ला दी. सरल जीएसटी के कारण देश की अर्थव्यवस्था और तेज गति से आगे बढ़ेगी.


किसानों की कर्जमाफी और किसानों के लिए विभिन्न उपहारों की संभावनाओं से इस वर्ष कृषि और किसानों की खुशहाली दिखायी देगी. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में किसानों की कर्जमाफी के वचन से कांग्रेस के चुनाव जीतने के बाद अन्य प्रदेशों की सरकारों और केंद्र की मोदी सरकार पर भी किसानों के कर्ज को माफ करने का दबाव बना है.


नीति आयोग द्वारा कृषि अर्थव्यवस्था की हालत सुधारने के लिए इस साल जो न्यू इंडिया रणनीति जारी की गयी है, उसके कार्यान्वयन से भी कृषि और किसान लाभान्वित होंगे. निश्चित ही आवश्यक वस्तु अधिनियम को नरम करने, अनुबंधित खेती को बढ़ावा देने, बेहतर मूल्य के लिए वायदा कारोबार को प्रोत्साहन देने, कृषि उपज की नीलामी के लिए तय न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी नीति को बढ़ाये जाने से कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी.


नयी कृषि निर्यात नीति के तहत कृषि निर्यात को मौजूदा 30 अरब डॉलर के मूल्य से बढ़ा कर 2022 तक 60 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचाने और भारत को कृषि निर्यात से संबंधित दुनिया के 10 प्रमुख देशों में शामिल कराने का लक्ष्य है. नयी कृषि निर्यात नीति में खाद्यान्न, दलहन, तेलहन, दूध, चाय, कॉफी जैसी वस्तुओं का निर्यात बढ़ाने और कृषि उत्पादों के ग्लोबल ट्रेड में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने पर फोकस है.


इसके अलावा कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने, प्रोडक्ट के मानक तय करने जैसे कदम भी बताये गये हैं. निर्यात बढ़ाने के लिए राज्य स्तर पर विशेष क्षेत्र बनाये जायेंगे और बंदरगाहों पर विशेष व्यवस्था की जायेगी. इनके लिए सरकार ने 1,400 करोड़ रुपये के निवेश का प्रावधान किया है. यद्यपि कृषि निर्यात को आगामी चार वर्षों में दोगुना करने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है, लेकिन भारत में कृषि निर्यात की विभिन्न अनुकूलताओं के कारण इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है. खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) की भी नयी संभावनाएं आकार ग्रहण करेंगी.


पिछले वर्ष (2018 में) लिये गये कई प्रमुख आर्थिक निर्णयों से अर्थव्यवस्था को लाभ होगा और जीडीपी बढ़ेगी. देश के विकास में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के महत्व को देखते हुए इसे बढ़ावा देने और इसे अधिक उदार बनाने के उद्देश्य से ‘सिंगल ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग' में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति ऑटोमैटिक रूट के जरिये दी गयी है, वह रिटेल ट्रेडिंग बढ़ाने में लाभप्रद होगी.


यद्यपि वर्ष 2019 में वैश्विक शेयर बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी, लेकिन दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में काॅरपोरेट आमदनी, सार्वजनिक निवेश और विदेशी निवेश भी बढ़ने की संभावना है. आर्थिक सुधारों के कारण भारतीय शेयर बाजार में उम्मीद का माहौल रहेगा.


इस साल उद्योग-कारोबार के लिए जीएसटी को और सरल बनाना होगा. बेनामी संपत्ति पर जोरदार चोट करनी होगी. अर्थव्यवस्था को डिजिटल करने की रफ्तार तेज करना होगी. वैश्विक संरक्षणवाद की नयी चुनौतियों के बीच सरकार को निर्यात प्रोत्साहन के लिए और अधिक कारगर कदम उठाने होंगे. निर्यात बढ़ाने के लिए कुछ ऐसे देशों के बाजार भी जोड़े जाने होंगे, जहां गिरावट अधिक नहीं है. सरकार के द्वारा भारतीय उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनानेवाले सूक्ष्म आर्थिक सुधारों को लागू किया जाना होगा.


अर्थव्यवस्था को ऊंचाई देने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की अहम भूमिका बनानी होगी. मेक इन इंडिया योजना को गतिशील करना होगा. उन ढांचागत सुधारों पर जोर देना होगा, जिसमें निर्यातोन्मुखी विनिर्माण क्षेत्र को गति मिल सके. इससे भारत में आर्थिक एवं औद्योगिक विकास की नयी संभावनाएं आकार ले सकती हैं. हम आशा करें कि वर्ष 2019 में भारत की जीडीपी में पिछले वर्ष की तुलना में अधिक वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था भी चमकीली बनेगी.