खास बात
- साल 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल श्रमशक्ति की तादाद 40 करोड़ है जिसमें 68.37 फीसद पुरुष और 31.63 फीसद महिला कामगार हैं। @
- तकरीबन 75.38% फीसद महिला श्रमशक्ति खेती में लगी है। @
- एफएओ के आकलन के मुताबिक विश्वस्तर पर होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन का 50 फीसद महिलायें उपजाती हैं। #
- साल 1991 की जनगणना के अनुसार 1981 से 1991 तक पुरुष खेतिहरों की संख्या में 11.67 फीसदी की बढोतरी हुई और पुरुष खेतिहरों की संख्या 5करोड़ 60 लाख से बढ़कर 1991 में 7करोड़ 60 लाख 70 हजार हो गई। महिला खेतिहरों की संख्या इसी अवधि में कहीं ज्यादा तेजी(45.23 फीसदी) से बढ़ी और महिला खेतिहरों की संख्या 1 करोड़ 40 लाख 80 से बढ़कर 2 करोड़ 10 लाख 50 हजार हो गई।
- महिला श्रमशक्ति में खेतिहर कामगारों की संख्या बहुत ज्यादा है। साल 2005 में खेतिहर महिला कामगारों की तादाद 72.8 फीसद थी जबकि पुरुषों की 48.9 फीसद। *
- भारत में, गरीब परिवारों में 20 साल या इससे कम उम्र की तकरीबन 30 फीसदी माताओं को ही प्रसव के दौरान प्रशिक्षित चकित्साकर्मियों की देखभाल मिल पाती है जबकि अमीर देशों में इस उम्र की तकरीबन 90 फीसदी महिलाओं को प्रसव के दौरान प्रशिक्षित चिकित्साकर्मियों की सहायता हासिल होती है।$
@ रुपम सिंह और रंजना सेनगुप्ता, दिसंबर, 2009, सीईएनटीएडी,
http://www.esocialsciences.com/data/articles/Document14320
10510.149914.pdf
# फैक्टशीट-बीमेन फार्मर्स एंड फूड सिक्यूरिटी, हंगर प्रोजेक्ट,
http://www.thp.org/system/files/Factsheet+on+Women+Farmers
+and+Food+Security.pdf
* रिपोर्ट ऑन कंडीशन ऑव वर्क्स् एं प्रोमोशन ऑव लाइवलीहुड इन अन-ऑर्गनाइज्ड सेक्टर,
http://nceus.gov.in/Condition_of_workers_sep_2007.pdf
$प्रोग्रेस फॉर चिल्ड्रेन- अ रिपोर्टकार्ड ऑन एडोलेसेंट(यूनिसेफ), नंबर 10,अप्रैल 2012-http://www.unicef.org/media/files/PFC2012_A_report_card_on
_adolescents.pdf: