नीतिगत पहल


साल २००९-१० के अंतरिम बज़ट के अनुसार- http://indiabudget.nic.in/ub2009-10(I)/bh/bh1.pdf: • वर्ष २००३-०४ से २००८-०९ के बीच कृषि के लिए योजनागत आबंटन में ३०० फीसदी का इजाफा हुआ है। साल २००७-०८ में २५ हजार करोड़ रुपये के साथ राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की शुरुआत हुई। इसका उद्देश्य खेती और उससे जुड़े क्षेत्रों मे ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत सालाना ४ फीसदी की दर वृद्धि करना है। • वास्तविक कृषि-ऋण में साल २००३-४ से लेकर २००७-०८ के बीच चीन गुने का इजाफा हुआ है। पूंजी-प्रवाह साल २००३-०४ में ८७००० करोड़ था जो साल २००८-०९ में बढ़कर २,५०,००० करोड़ हो गया। • सहकारी संस्थाओं द्वारा छोटी अवधि के लिए दिए जाने वाले कर्ज की व्यवस्था को मजबूत करनेके लिए १३,५०० करोड़ रुपये का एक पैकेज दिया गया है। इसका इस्तेमाल २५ राज्यों में इस व्यवस्था को मजबूत करने के लिए होगा। • साल 2009-10 के दौरान भी किसानों को सूद की कम दर पर कर्ज दिया जाना जारी रखा जाएगा ताकि किसानों को 3 से 7 लाख रुपये का कर्ज(फसलों के लिए) 7 फीसदी सूद की दर से हासिल हो सके। • कर्जमाफी और कर्ज-राहत की योजना 30 जून 2008 की तय समय सीमा में ही चालू हो चुकी है। इसके अन्तर्गत 65,300 करोड़ रुपये के कर्ज माफ किये गए हैं। इस योजना से 3.6 करोड़ किसानों को फायदा हुआ है।. • पिछले पांच सालों के दौरान उपार्जन की लागत और अंतर्राष्ट्रीय मूल्य ऊंचे रहने के बावजूद लक्ष्य केंद्रित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बीपीएल श्रेणी और अंत्योदय अन्न योजना के दायरे में आने वाले परिवारों के लिए वही मूल्य कायम रखे गए जो जुलाई 2000 में थे। गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली में साल 2002 के जुलाई से लागू मूल्यों को कायम रखा गया है। • साल 2008-09 के फसली वर्ष के लिए धान की सामान्य श्रेणी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर 900 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। साल 2003-04 में समान्य श्रेणी की धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 550 रुपये प्रति क्विंटल था।साल 2003-04 में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 630 रुपये प्रति क्विंटल था जिसे साल 2009 में बढ़ाकर 1080 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
|
Write Comments