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What's Inside

पिछले काफी समय से मानव ने अपने कामों से धरती का तापमन बढ़ा दिया है.इससे पर्यावरण में असन्तुलन आ गया है. इस असन्तुलन ने भी जवाब दिया, मानव का जीवन जोखिम में आ गया. जोखिम के उन कारकों में "सूखा" भी एक प्रमुख कारक है. [inside]संयुक्‍त राष्‍ट्र मरुस्‍थलीकरण रोकथाम कन्‍वेंशन यानी UNCCD ने एक रिपोर्ट जारी की है. नाम है- Drought in Numbers 2022: Restoration for Readiness and Resilience-13 जुलाई[/inside] (पूरी रिपोर्ट यहाँ मिलेगी


रिपोर्ट में सूखे पर की गई बातों को संक्षिप्त में यहाँ लिखा है. 

  • सूखा नामक इस जोखिम ने सन् 1970 से 2019 के बीच 650,000 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है. 
  • पर्यावरण असंतुलन के कारण उपजे संकट का सबसे अधिक प्रभाव विकासशील देशों पर पड़ा है. प्रभावों में केवल मानव जीवन ही नहीं किसी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को भी अच्छा-खासा नुकसान पहुंचा देता है.
  • एक अनुमान के मुताबिक विश्वभर में सूखे के कारण लगभग प्रतिवर्ष 55 मिलियन लोगों का जनजीवन प्रभावित होता है. इन प्रभावों को लैंगिक नजरिये से देखें तो समाज में इसका प्रभाव महिलाओं और बालिकाओं पर अधिक देखा गया है. परिणामस्वरूप उनकी शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य और साफ़-सफाई प्रभावित होतें हैं.
  • यूनिसेफ ने एक अनुमान लगाया है जिसके अनुसार वर्ष 2040 तक सखे के कारण लगभग 160 मिलियन बच्चे प्रभावित हो सकते हैं.
  • सूखे का जवाब देने के लिए नाइजर एक मुकम्मल उदहारण के रूप में उभरा है. पिछले 20 वर्षों में पांच मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में पौधे लगायें हैं. पौधे लगाने से जमीं अनुर्वर होने से बच जाती है. साथ ही अपरदन (कटाव) भी कम होता है.
  • अगर एक नजर अतीत से लेकर वर्तमान तक सूखे की यात्रा पर डालें तो 1900 से अब तक 10 मिलियन से अधिक लोग अपनी जान की कुर्बानी दे चुकें हैं.
  • सूखे के काले बादल सबसे अधिक अफ्रीका के सहारा मरुस्थल से सटे इलाकों में देखें गए हैं. पिछले 100 वर्षों में सूखे की दुनिया के 44% सूखे इसी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं.
  • हालाँकि पिछली सदी में सुखें के कारण सबसे अधिक प्रभावित होने वाले लोग एशिया महाद्वीप के निवासी थे.
  • सूखे ने पारितंत्र पर भी प्रभाव डाला है- सुखे के कारण प्रभावित होने वाले पेड़ों की संख्या 40 वर्षों में दोगुणी हो जाती है. प्रतिवर्ष 12 हेक्टेयर वन भुनी सूखे और मरुस्थलीकरण के कारण नष्ट हो जाती है.
  • स्टेट ऑफ़ ग्लोबल क्लाइमेट- 2021 को यहाँ से पढ़ेState of the Global Climate in 2021 report



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