कुपोषण

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IFPRI द्वारा प्रस्तुत 2015 ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट: एक्शन एंड अकाउंटबिलिटी टू एडवांस न्यूट्रीशन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट( सितंबर 2015 में जारी) नामक दस्तावेज के अनुसार :

http://www.im4change.orghttps://www.im4change.org/siteadmin/tinymce//uploaded/global%20nutrition%20report%202015.pdf

 • साल 2013-14 में राष्ट्रीय स्तर पर कराये गये एक नये सर्वेक्षण रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन के अनुसार स्टंटिंग के शिकार बच्चों की संख्या 48 प्रतिशत से घटकर 39 प्रतिशत हो गई है.

 

• आरएसओसी सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है 2006 से 2014 के बीच बच्चों के कुपोषण के मामले में(उम्र और लंबाई के मानक के हिसाब तथा उम्र और वज़न के मानक के हिसाब से) तकरीबन सभी राज्यों में कमी आई है तथा इसी अवधि में नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने की परिघटना में बढ़ोत्तरी हुई है.

 

• बिहार, झारखंड और उत्तरप्रदेश में साल 2006 से 2014 के बीच बच्चों के कुपोषण के मामले में प्रगति धीमी रही है.

 

• ज्यादातर राज्यों में बच्चों के कुपोषण(उम्र और लंबाई के मानक के हिसाब से) से कमी आई है लेकिन सभी राज्यों के साथ ऐसा समान रुप से नहीं हुआ है। अरुणाचलप्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, गोवा तथा मिजोरम में बच्चों के कुपोषण(वेस्टिंग- उम्र और लंबाई के मानक के हिसाब से) से बढ़ोत्तरी हुई है, भले ही अरुणाचलप्रदेश तथा महाराष्ट्र में यह बढ़ोत्तरी नाम-मात्र की हुई है.

 

• इन आंकड़ों को तनिक सावधानीपूर्वक पढ़ने की जरुरत है क्योंकि बच्चों के कुपोषण के दो प्रकारों वेस्टिंग( वज़न और लंबाई के मानक के हिसाब से) और स्टंटिंग( उम्र और लंबाई के मानक के हिसाब से) के आंकड़ों में क्षेत्रवार बहुत ज्यादा भिन्नता है. इस बात के लिए और शोध की जरुरत है कि वेस्टिंग को कम करने में रफ्तार क्षेत्रवार इतनी ज्यादा असमान क्यों प्रतीत हो रही है.

 

• अखिल भारतीय स्तर पर शिशुओं को स्तनपान कराने की दर 34 प्रतिशत से बढ़कर 62 प्रतिशत हो गई है. साल 2005-06 में केवल पाँच राज्य स्तनपान की दर 60 प्रतिशत या इससे अधिक थी लेकिन अब 17 राज्यों स्तनपान की दर 60 प्रतिशत से ज्यादा है. यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि 2005-06 में जिन राज्यों में स्तनपान की दर कम थी वहां भी स्तनपान की दर 60-70 प्रतिशत हो गई है.

 

• बिहार स्तनपान की दर के मामले में 2005-2006 में सबसे नीचे था लेकिन अब वहां स्तनपान की दर में चार गुने की बढ़ोत्तरी हुई है और बिहार देश के 16 राज्यों से ऊपर आ गया है.

 

• मोटापे जनित कुपोषण(लड़के और लड़कियों दोनों के लिए) 2010 के 4.0 प्रतिशत से बढ़कर 2014 में 4.9 प्रतिशत हो गया है. लड़कों के लिए मोटापाजनित कुपोषण में बढ़त 2010 के 2.5 प्रतिशत से बढ़कर 2014 में 3.2 प्रतिशत हुई है जबकि महिलाओं के लिए इस अवधि में यह बढ़त 5.6 प्रतिशत से आगे आकर 6.7 प्रतिशत हुई है.

 

• यह बात ध्यान में रखी जानी चाहिए कि बच्चों की लंबाई उनके जन्म के महीने के हिसाब से बहुत ज्यादा विभिन्नता धारण करती है. जिन बच्चों का जन्म दिसंबर में होता है उनकी तुलना में गर्मी और बारिश के महीनों में जन्म लेने वाले बच्चों की लंबाई अपेक्षाकृत कम होती है.



Rural Expert


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