कम भयावह हो सकती थी उत्तराखंड की आपदा-- सीएजी की रिपोर्ट |
भारी बारिश और बाढ़ की मार झेलते आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में हुई जनहानि की खबरों के बीच सीएजी की एक रिपोर्ट 2013 की प्राकृतिक आपदा के बारे में आयी है. रिपोर्ट में बताया गया है कि उत्तराखंड में विकास-कार्यों में वन और पर्यावरण मंत्रालय, ग्लेशियर केंद्रित विशेषज्ञ समिति सहित कई अन्य एजेंसियों द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की अनदेखी की गई.
रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तराखंड में निर्माण-कार्यों के दौरान निकले अपशिष्ट के निपटान के बारे में जारी वन और पर्यावरण मंत्रालय के निर्देशों का पालन नहीं किया गया.
खनन-कार्य तथा अन्य विकास-कार्यों से पैदा मलवे के असुरक्षित निपटान के कारण उत्तराखंड में भू-स्खलन का खतरा बढ़ा. निर्माण-कार्य से निकले मलवे को पहाड़ के ढलान पर छोड़ देने की वजह से यह मलवा खिलक कर नीचे आया और पूरे इलाके में खेतों तथा पानी के स्रोतों पर फैल गया. इससे बड़े पैमाने पर वन-संपदा और खेती-बाड़ी का नुकसान हुआ. नदी की पेटी में गाद के रुप में जमा होने की स्थिति में निर्माण-कार्यों के मलवे से इलाके की नदियों की जल-संचय क्षमता में कमी आयी.
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वन और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा ढलान के स्थरीकरण, मलबे के निपटान तथा नदी की पेटी में गाद के जमा होने से संबंधित दिशा-निर्देशों का उत्तराखंड में जारी निर्माण-कार्यों में पालन नहीं किया गया.
नदी के तटवर्ती इलाके में निर्माण-कार्य करते समय किसी तरह के आपदा-नियंत्रक संयम का पालन नहीं किया गया. नगर-नियोजन तथा इमारतों के निर्माण से संबंधित नियमों की अनदेखी हुई और इनका समुचित रीति से पालन नहीं किया गया. नतीजतन सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार जून 2013 की उत्तराखंड की बाढ़ में सबसे ज्यादा नुकसान नदियों के तटवर्ती इलाके में हुए निर्माण-कार्यों को हुआ.
रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तराखंड की सरकार ने डिजास्टर मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर की सिफारिशों के अनुपालन पर कोई ध्यान नहीं दिया. इन सिफारिशों में कहा गया था कि पर्यावरणीय लिहाज से अत्यंत संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में विस्फोटकों का उपयोग नहीं किया जाय क्योंकि इससे आस-पास के शिला-प्रस्तरों के अस्थिर होने की आशंका है.
सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में 2013 की बाढ़ से पहले आपदा प्रबंधन की कोई सुचिन्तित नीति या फिर या फिर ऐसे दिशानिर्देश मौजूद नहीं थे जिनमें आपदा निवारण और आपदा प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने के बारे में विशेष बातें कही गई हों. रिपोर्ट के अनुसार 2013 के जून की आपदा के समय राज्य का आपदा-प्रबंधन तंत्र योजना विहीनता के कारण पूरी तरह से लचर साबित हुआ। यहां तक कि राज्य में आपदा की स्थिति में किन क्रियाविधियों का पालन किया जाय, इसके बारे में भी किसी किस्म की तैयारी नहीं थी.
साल 2012 में उत्तरकाशी तथा रुद्रप्रयाग में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन के बावजूद सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार राज्य जोखिम की स्थितियों के आकलन तथा इसके अनुकूल आपदा निवारण और राहत के समाधानी उपाय करने में नाकाम रहा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2013 के सितंबर-नवंबर महीने तक नदियों की पेटी की सफाई तथा तटनिर्माण का काम जारी रहा जबकि 2010 और 2012 की आपदा को देखते हुए यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था.
2013 की आपदा के समय सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार राज्य और जिला स्तर पर इमर्जेंसी ऑपरेशन सेंटर बगैर समुचित संख्याबल, उपकरण तथा संचार-नेटवर्क के काम कर रहे थे. इसकी वजह से आपदा प्रभावितों की खोज, बचाव और उन्हें राहत प्रदान करने का काम बाधित हुआ।
राज्य की मशीनरी और जिलों का प्रशासन खराब मौसम तथा आपदा से निपटने की तैयारियों के अभाव में कारगर ढंग से सक्रिय नहीं हुए. वायुयान के सहारे आपदा-प्रभावितों के बचाने के क्रम में जरुरी हैलीपैड का राज्य में अभाव सामने आया. इमर्जेंसी लाइट, सोलर लाइट, गैस कटर जैसी जरुरी सामग्री भी जिलास्तर पर किए जाने वाले आपातिक बचाव कार्य के लिए उपलब्ध नहीं थे. बागेश्वर, चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग तथा उत्तरकाशी में यह समस्या विशेष रुप में देखने को मिली.
उल्लेखनीय है कि सीएजी की उक्त रिपोर्ट सितंबर 2014 से फरवरी 2015 के बीच किए गए परफर्मेंस ऑडिट पर आधारित है. यह अंकेक्षण उत्तराखंड सरकार द्वारा बचाव, राहत कार्य, आपदाग्रस्त आधारभूत संरचना की बहाली तथा आपदा प्रभावित लोगों के पुनर्वास के किए गए कार्यों से संबंधित है. सीएजी की रिपोर्ट 3 नवंबर 2015 को राज्य की विधानसभा में पेश हुई. रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में जून 2013 में आयी आपदा में कुल 4209 लोगों की जान गई, 19309 घर ढहे तथा 17838 मवेशियों की जान का नुकसान हुआ.
इस कथा के विस्तार के लिए निम्नलिखित लिंक देखें--
Report No. - 2
of 2015 Government of Uttarakhand - Report of the Comptroller and Auditor
General of India on Performance Audit of Natural Disaster in Uttarakhand June
2013, please click here to access
CAG pulls up Uttarakhand govt. over deluge, The Hindu, 7 November, 2015, please
click here to access
CAG report slams Uttarakhand govt -Nikita Mehta, Livemint.com, 6 November,
2015, please click here to access Uttarakhand government's slow response aggravated Kedar disaster, says CAG report -Gaurav Talwar, The Times of India, 4 November, 2015, please click here to access
When expedience trumps expertise-Ramachandra Guha,
The Hindu, 11 July, 2013, please click
here to
access
Dams and disasters in the Himalayas -Anirudh Burman, Live Mint, 9 July, 2013,
please click
here to
access
Blame game continues over Uttarakhand forecast -Kavita Upadhyay, The Hindu, 30
June, 2013, please click
here to
access
Watershed moment -Himanshu Upadhyaya, Timescrest.com, 29 June, 2013, please click
here to
access
CAG had warned last year about Uttarakhand crisis in making-Himanshu Upadhyaya,
Governance Now, 27 June, 2013, please click
here to
access
Uttarakhand disaster plan doesn't exist, CAG warned in April -Subodh Varma, The
Times of India, 21 June, 2013, please click
here to
access
CAG had warned three years ago about damage to hills -Pradeep Thakur, The Times
of India, 20 June, 2013, please click
here to
access
Report no.-5 of 2013-Union Government (Ministry of Home Affairs) - Report of the
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