
मुक्त हुए मानव तस्करी के शिकार 16 बंधुआ मजदूर, अल्पसंख्यक समुदाय के मजदूर हो रहे टारगेट


-बंधुआ मुक्ति मोर्चा नेशनल कैंपेन कमेटी फॉर ईरेडिकेशन ऑफ़ बोंडेड लेबर उत्तरप्रदेश ने बंधुआ मुक्ति मोर्चा दिल्ली को दिनांक 13/11/2020 को सूचना दी कि 16 मजदूरों को को अल्पसंख्यक समुदाय से है को जिला संभल के मछाली गांव में एच प्लस एच भट्टे में चल रही बंधुआगिरी से मुक्त कराया जावे। तत्काल बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने संभल जिले के जिलाधिकारी एवं एडीएम को एक शिकायत भेजकर मानव तस्करी से पीड़ित बंधुआ मजदूरों के मुक्ति की गुहार लगाई। दिनांक 23 /11/2020 को बंधुआ मुक्ति मोर्चा, ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क एवं नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर ईरेडिकेशन ऑफ़ बोंडेड लेबर के प्रतिनिधियों की टीम संभल जिला पहुंची एवं वहां जाकर एडीएम संभल से संपर्क किया। एडीएम संभल ने एसडीएम संभल को तत्काल बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराने का आदेश दिया। उप जिलाधिकारी श्री देवेंद्र यादव के निर्देशन में नायब तहसीलदार श्री भारत प्रताप सिंह, श्रम अधिकारी श्री विनोद कुमार शर्मा, हरद्वारी लाल गौतम विजिलेंस की टीम मेंबर और असमोली थाना की एक टीम बनाकर बंधुआ मुक्ति मोर्चा के सोनू तोमर, ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क के एडवोकेट ओसबर्ट खालिंग एवं कंवलप्रीत कौर की टीम के साथ मछालि के गांव में बहाली के जंगल में छापा मारकर 16 बंधुआ मजदूरों को मुक्त करवाया परिवार सहित मुक्त कराया जिसमे पांच पुरूष, चार महिला एवं सात बच्चे पाए गए। ये बंधुआ मज़दूर यूपी के जिला बागवत, शामली एवं मुजफ्फरनगर के निवासी थे। मुक्त बंधुआ मजदूरों की हालात बहुत ही नाजुक एवं दर्दनाक थीं। इनके पास कुछ भी खाने की सामग्री मौजूद नहीं थी। ना रहने के लिए मकान थे। मुक्त मजदूरों ने बताया कि एक ठेकेदार उन्हें उत्तर प्रदेश से जम्मू कश्मीर में काम करने के लिए यह कहकर ले गया कि एक महीने बाद वो वापस उत्तर प्रदेश ले आएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मजदूरों को मानव तस्करी का शिकार बना कर बंधुआ मज़दूर बना डाला। परिवार सहित फसे मजदूर दिन रात मालिक एवं ठेकेदारों की मारपीट के शिकार होते। मजदूरों को ना तो काम का पैसा मिला ना सम्मान । फिर जब मजदूरों को कश्मीर से संभल जिला में लाया गया तो यहां मालिक का शोषण आसमान पर चढ़कर कहर बरपाने लगा। जब भी मज़दूर मालिक से मज़दूरी की बात करते तो मलिक के हाथो उन्हें पीटना पड़ता और मालिक मजदूरों को कहीं आने-जाने नहीं देता। मालिक महिला मजदूरों के साथ भी बदतमीजी करता था। खाने के नाम पर प्रत्येक परिवार को एक माह पहले 5 किलो चावल तथा 5 किलो आटा और 1 किलो दाल दी थी फिर कुछ नहीं। मजदूर कार्यस्थल पर एधर उधर मांग मांग कर पेट भरते थे। मजदूरों की हालत उनके साथ हुए अत्याचार क बयां करती नजर आईं। प्रशासन की टीम ने बयां दर्ज किए फिर एसडीएम संभल ने भट्टे मालिक एवं मानव तस्कर पर तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए और तत्काल मजदूरों को मुक्ति प्रमाण पत्र जारी किए। सभी मजदूरों को कोई मज़दूरी नहीं दी गई और उन्हे उनके गांव भेज दिया गया। बंधुआ मुक्ति मोर्चा के जनरल सेक्रेटरी निर्मल अग्नि ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मजदूरों को मानव तस्करी एवं बंधुआ मजदूरी के खेमे से बाहर निकाला गया किंतु वर्तमान में जीवन जीने के लिए उनके पास कोई साधन नहीं है। बंधुआ मजदूरों की पुनर्वास की योजना 2016 के तहत तत्काल सहायता राशि प्रत्येक मुक्त बंधुआ मजदूर को 20,000 रुपए के हिसाब से दी जनी चाहिए। साथ ही संभल जिले में तत्काल प्रभाव से बंधुआ मजदूरों का सर्वे किया जाना चाहिए नहीं तो गुलामी क यह चक्र चलता रहेगा। लॉक डॉउन के कारण मानव तस्करी एवं बंधुआ मजदूरी के मामले बढ़ रहे है। कोरोना में मजदूरों को हर कोई बहाल फुसला कर बेच रहा है इसलिए सरकार मानव तस्करी एवं बंधुआ मजदूरी के खिलाफ कड़े कदम उठाए। मुक्त हुए मजदूरों को रिलीज सर्टिफिकेट देखने के लिए यहां क्लिक करें. निर्मल अग्नि |
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