योगीराज के तीन सालः आंकड़ों के आईने में एनकाउंटर, मर्डर, रेप, बेरोजगारी और बवाल…

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published Published on Mar 20, 2020   modified Modified on Mar 20, 2020

-मीडियाविजिल,

योगी आदित्यनाथ की गिनवायी उपलब्धियों की मीडियाविजिल ने सरकारी आंकड़ों के सहारे पड़ताल की है. यह पड़ताल समाज के प्रत्येक क्षेत्र से जुड़ी है. जो आंकड़े सामने आये हैं, वे दिल दहलाने वाली तस्वीर पेश करते हैं.

मीडियाविजिल एक-एक कर के अलग-अलग क्षेत्रों की ज़मीनी हक़ीकत पाठकों के सामने रख रहा है.

रोजगार 
पिछले विधानसभा चुनाव के मौके पर भारतीय जनता पार्टी ने युवाओं के लिए 70 लाख नौकरियों का वादा किया था. योगी सरकार के तीन साल बीतने के बाद रोजगार के हालात बदतर हुए हैं. सेंटर फार मानिटरिंग इंडियन इकानमी (CMIE) के हवाले से आउटलुक में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में बीते वर्ष 2019 में 2018 की तुलना से लगभग दोगुना बेरोजगारी बढ़ी है. 2018 में औसत बेरोजगारी दर 6 फीसद थी, वह 2019 में बढ़कर 10 फीसद हो गयी.

कानून व्यवस्था
बलात्कार

उन्नाव रेप पीड़िता को अस्पताल में देखते योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ प्रदेश की कानून व्यवस्था में लगातार सुधार का दावा करते रहे हैं. उन्होंने दावा किया है कि पिछले तीन साल में प्रदेश में बलात्कार, लूट, डकैती व हत्या की घटनाएं कम हुई हैं जबकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े दूसरी ही कहानी बयां कर रहे हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2017 में 56,011 और 2018 में 59,445 अपराध के मामले दर्ज हुए जो देश भर से अधिक हैं.

महिलाओं से अपराध के मामले में कई बीजेपी नेताओं पर भी आरोप लगे. इनमें उन्नाव रेप कांड में बीजेपी के विधायक रहे कुलदीप सेंगर दोषी पाये गये. कानून की छात्रा से रेप के मामले में बीजेपा नेता व पूर्व गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद पर आरोप लगा. बढ़ते दबाव के कारण सेंगर को पार्टी से निष्कासित किया गया. इस बीच बीजेपी ने सेंगर को बचाने की पूरी कोशिश की. चिन्मयानंद मामले में आरोप लगाने वाली छात्रा को भी वसूली के आरोप में जेल जाना पड़ा. योगी आदित्यनाथ ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए 2017 में एंटी रोमियो स्कवाड का गठन किया था लेकिन तीन साल बाद किसी को नहीं पता कि एंटी रोमियो स्कवाड का क्या हुआ.

एनकाउंटर
अपराध पर लगाम कसने के लिये सरकार ने अपराधियों को खत्म करने का तरीका अपनाया. इसके लिए यूपी पुलिस ने खूब एनकाउंटर किये. कल्याण सिंह ने भी एक ज़माने में यही मॉडल अपनाया था और बाद में राज्य के मुख्यमंत्री बने राजनाथ सिंह ने भी एक के बदले दस मारने की बात पुलिस से कही थी, जो काफी चर्चित रही. सरकार के ही आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में करीब 3600 एनकाउंटर हुए हैं जिसमें 73 अपराधी मारे गये, 8,251 अपराधी गिरफ्तार किए गए जबकि चार पुलिसकर्मी शहीद हुए.

सरकार की एनकाउंटर नीति को विपक्ष, मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट की आलोचनी भी झेलनी पड़ी. विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार उनके नेताओं को मार रही है. एनकाउंटर के मसले पर दो बार एनएचआरसी भी यूपी सरकार व पुलिस को तलब कर चुकी है. इसके बावजूद मुठभेड़ की नीति पर असर नहीं पड़ा है।

भ्रष्टाचार
योगी आदित्यनाथ लगातार दावा करते रहे हैं कि उनकी सरकार देश भर की सरकारों में सबसे ईमानदार सरकार है जिस पर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं है. आदित्यनाथ के इस दावे की हवा उनके ही विधायकों ने ही निकाल दी जब 100 से ज्यादा विधायक विधानसभा के बाहर सरकार के खिलाफ ही धरने पर बैठ गये. भ्रष्टाचार के मसले को और ज्यादा हवा तब मिली जब गाजियाबाद की लोनी सीट से विधायक नंद किशोर गुर्जर ने पुलिस और प्रशासन पर कमीशन मांगने का आरोप लगाया. इसके पहले डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर एलडीए (लखनऊ डेवेलपमेंट अथाॅरिटी) में हुए घोटालों की लिस्ट भेजी थी. ये पत्र मीडिया में लीक हो गया. इसके बाद एलडीए को 11 कॉन्ट्रैक्टर के फर्म को ब्लैक लिस्ट करना पड़ा था.

यूपी में 2267 करोड़ का बिजली विभाग का डीएचएफएल घाेटाला सुर्खियों में रहा है जिसमें योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर ही वरिष्ठ अफसरों की गिरफ्तारी की गयी. आरोप लगा कि उन्होंने पिछली समाजवादी पार्टी सरकार के करीबी अफसरों को टार्गेट किया है, लेकिन बाद में सिलसिलेवार गिरफ्तारियों ने दिखा दिया कि यह घाेटाला जो पिछले लंबे समय से जारी था, भाजपा की सरकार में भी चलता रहा.

ध्यान देने वाली बात है कि इस घाेटाले को खुद योगी सरकार के तीन विधायकों ने 2017 में सरकार आने के बाद ही खाेला था और योगी को इस बाबत पत्र लिखे थे. उसी के दबाव में योगी को यह मामला सीबीसीआइडी को सौंपना पड़ा था, जो बाद में सीबीआइ को सौंपा गया और अंततः बिना किसी परिणाम के बंद हो गया.

राजद्रोह

दिल्ली के पत्रकार प्रशांत कनौजिया पर यूपी पुलिस ने आइटी एक्ट के तहत केस लगाया था
राजद्रोह का काला कानून, जो अंग्रेजों ने आज़ादी की आग को दबाने के लिए बनाया था, उसका इस्तेमाल योगी सरकार आलोचना की आवाज़ों को दबाने के लिए कर रही है. ताज़ा मामला वामपंथी छात्र संगठन आइसा के कार्यकर्ता नितिन राज का है. उसको केवल इसलिए गिरफ्तार किया गया कि जेल में बंद निर्दोष लोगों की रिहाई की वह मांग कर रहा था. आजमगढ़ जिले में सीएए के विरोध में प्रदर्शन कर रहे 135 लोगों पर राजद्रोह का चार्ज लगाया गया था.

किसानों की आत्महत्या
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में केवल 2017 में 10,665 व 2018 में 10,349 खेती किसानी से जुड़े लोगों मे आत्महत्या की है. हाल के समय में किसानों के लिए आवारा पशु गंभीर समस्या बन कर उभरे हैं. उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या इतनी गंभीर है कि सड़क पर चलते हुए लोग कहते हैं कि दूर हट जाओ, योगी जी आ रहे हैं.

भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में किसानों की कर्ज़ माफ़ी की घोषणा की थी जिसको सरकार बनते ही पूरा करने की कोशिश की गयी. यहां तक कि पहली कैबिनेट बैठक ही किसान कर्जमाफी के वादे को पूरा करने के लिए की गयी. बैठक के बाद सरकार ने क़रीब 86 लाख लघु और सीमांत किसानों के 36 हज़ार करोड़ रुपये के कर्ज़ माफ़ करने की घोषणा की.

पत्रकारों पर हमले

योगी सरकार में पत्रकारों पर हमले तेज़ हुए हैं. न केवल हत्याएं की जा रही हैं बल्कि अपने नियमित काम यानी खबरनवीसी के चलते पत्रकारों पर सरकारी काम में बाधा पहुंचाने और राजद्रोह जैसे केस लगाये जा रहे हैं. बीते तीन साल में सबसे चर्चित मामला मिर्जापुर जिले के पत्रकार पवन जायसवाल का रहा है जिसे नमक रोटी कांड के नाम से जाना जाता है। जनसंदेश टाइम्स के लिए काम करने वाले इस संवाददाता ने एक सरकारी स्कूल में बच्चों की नमक रोटी खाती वीडियो वायरल कर दी थी, जिसके बाद इस पर मुकदमा किया गया। मामला दिल्ली तक पहुंचा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठा। मुकदमा अब भी खत्म नहीं हुआ है, भले ही डीाएम और एसपी का तबादला हो गया है।

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.


अमन कुमार, https://www.mediavigil.com/news/report-of-three-years-of-yogi-adityanath-government-in-uttar-pradesh/


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