अर्थव्यवस्था पर 'भारी' मोटापा
रोम। मोटापा और कुपोषण दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ रहे हैं। इसके लिए जंक फूड सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। संयुक्त राष्ट्रसंघ के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने यह चेतावनी जारी की है।
एफएओ ने कहा है कि मोटापे से होने वाली जटिल बीमारियों पर हर साल लगभग 1.4 लाख करोड़ डॉलर खर्च हो रहे हैं। सरकारें स्वास्थ्य पर निवेश करके बड़े आर्थिक और सामाजिक नतीजे हासिल कर सकती हैं। कम और मध्यम आय वाले देशों में 1.4 अरब लोग सामान्य से ज्यादा वजन वाले व पचास करोड़ लोग मोटापे की समस्या से त्रस्त हैं। मोटापा बढ़ने की तेज गति आर्थिक पक्ष को प्रभावित करती है। तेज गति से होता शहरीकरण, सुस्त जीवनशैली और पैकेट बंद खाना मोटापे से बचने में सबसे बड़ी समस्या पैदा करते हैं। एफएओ के मुताबिक, उत्पादकता में कमी और कुपोषण से जुड़ी बीमारियों पर होने वाले खर्च से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है। खराब पोषण के कारण होने वाला खर्च दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब पांच फीसद है। यह खर्च करीब 3,500 अरब डॉलर का है। संगठन ने रिपोर्ट में कहा कि बेहतर पोषण होने की स्थिति में आय और लागत का अनुपात 13 में एक पर लाया जा सकता है। दुनिया की आबादी के 12.5 फीसद लोग अल्पपोषण के शिकार हैं। वहीं, 26 फीसद बच्चे कुपोषित हैं। सूक्ष्म तत्वों के कुपोषण के कारण दो अरब लोग बुरी तरह प्रभावित हैं। कुपोषण से लोगों में विटामिन, आयरन व आयोडीन की कमी होती है। विकासशील देशों में उक्त समस्या देखने को मिलती है। |
http://www.jagran.com/news/business-junk-food-hurting-world-economy-un-warns-10452026.html
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