पंजाब में प्रवासी मज़दूरों को बंधुआ बनाने के दावों में कितनी सच्चाई?
-न्यूजक्लिक, भारत के गृह मंत्रालय ने पंजाब के मुख्य सैक्रेटरी और डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस को 17 मार्च को लिखी चिट्ठी में कहा है कि पंजाब के सरहदी जिलों में प्रवासी मज़दूरों को नशे की लत लगाकर उनसे बंधुआ मज़दूरी करवाई जाती है। चिट्ठी में यह भी लिखा है, “मज़दूरों से ज्यादा काम करवाने के बाद भी मेहनताना नहीं दिया जाता। पंजाब के सरहदी जिलों में काम कर रहे मज़दूरों में ज्यादातर उत्तर प्रदेश व बिहार के पिछड़े इलाकों के गरीब परिवारों से सम्बन्ध रखते हैं। मानव तस्करी करने वाले गैंग उन्हें अच्छी मज़दूरी का लालच देकर पंजाब लेकर आते हैं पर पंजाब पहुंचने पर उनका बेहद शोषण व अमानवीय व्यवहार किया जाता है”। केंद्रीय गृह विभाग का कहना है कि यह जानकारी बीएसफ द्वारा अमृतसर, गुरदासपुर, अबोहर और फिरोजपुर में की गई तफ़्तीश पर आधारित है। केंद्र की इस चिट्ठी के बाद पंजाब में माहौल पूरी तरह गरमा गया है। राज्य में भाजपा को छोड़कर पंजाब की सारी सियासी पार्टियाँ व किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र पंजाब को बदनाम करने, किसान आंदोलन को खत्म करने और किसानों व प्रवासी मज़दूरों की आपसी सांझ को तोड़ने के लिए ये हथकंडे अपना रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस विरोध के बाद दोबारा स्पष्टीकरण देना पड़ा कि उसकी मंशा गलत नहीं है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह के अनुसार, “पंजाब सरकार ने पड़ताल करवाई है और यह जानकारी तथ्यों पर आधारित नहीं है।” मुख्यमंत्री ने कहा है कि केंद्र का पत्र किसानों की साख खराब करने वाला है। भाजपा ने पहले किसानों को आतंकवादी, शहरी नक्सली और गुंडे आदि के नाम से पुकारा है ताकि किसान आंदोलन को लीक से हटाया जा सके। अन्तराष्ट्रीय सीमा के पास से पकड़े गए व्यक्तियों की सूचना को निराधार अनुमानों से जोड़ दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेक मामले में उचित कार्यवाही पहले ही शुरू की जा चुकी है। ज्यादातर मज़दूर अपने परिवारों के साथ रह रहे हैं। केंद्रीय पत्र के तथ्यों के अनुसार बीएसफ अधिकारियों द्वारा न ही ये आंकड़े और न ही यह रिपोर्ट जमा करवाई गई है। गृह मंत्रालय का पत्र अबोहर इलाके में बंधुआ मज़दूरों की बात करता है जबकि अबोहर व फाज़िल्का जिलों में कोई भी ऐसा केस सामने नहीं आया। अमरिंदर सिंह का कहना है कि यह बीएसएफ का काम नहीं है कि वह ऐसे मामलों की जाँच करे। उनकी जिम्मेदारी सिर्फ सरहद पर संदेहास्पद हालात में घूम रहे किसी व्यक्ति को पकड़कर स्थानीय पुलिस के हवाले करना होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में आये सभी 58 केसों की गहराई से जाँच की गई है इनमें ऐसा कुछ सामने नहीं आया है। भारतीय किसान यूनियन एकता (डकौंदा) के नेता बूटा सिंह बुरजगिल ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा,“पंजाब के किसानों व प्रवासी मज़दूरों का रिश्ता लगभग पांच दशक पुराना है, अगर पंजाब के किसान व प्रवासी मज़दूरों में बंधुआ मज़दूरी वाला रिश्ता होता तो इतना लम्बा समय न निकलता। धान लगाने के समय किसान खुद प्रवासी मज़दूरों को शहर के रेलवे स्टेशनों से न्यूनतम मज़दूरी का वादा करके अपने गांवों में लाते हैं और वे इस वादे को पूरा भी करते हैं। पंजाबी किसानों के अच्छे व्यवहार कारण ही बहुत सारे प्रवासी मज़दूर यहाँ पक्के तौर पर रहने लगे हैं। मज़दूर व मालिक के रिश्ते में तनाव होना स्वभाविक है पर रिश्ता लम्बें समय तक तभी निभता है जब दोनों पक्ष वाजिब व्यवहार करें।” सरहदी इलाके में किसान व मज़दूरों में काम करने वाले संगठन किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के प्रधान सतनाम सिंह पन्नू ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा “मोदी सरकार पंजाब के किसानों और प्रवासी मज़दूरों के अच्छे सम्बन्धों को खत्म करने की चाल चल रही है। केंद्र सरकार ने किसानी संघर्ष को खत्म करने के लिए हर हथकंडा अपनाया है, यह भी उसकी नई चाल है। हमारे संगठन का सरहदी इलाक़े में भी काम है। हमारे पास कभी कोई ऐसा केस नहीं आया।” पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. |
शिव इंदर सिंह, https://hindi.newsclick.in/How-much-truth-in-claims-of-making-migrant-laborers-bonded-in-Punjab
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