Resource centre on India's rural distress
 
 

कुपोषण

खास बात
2018 में देश में पांच साल से कम उम्र के 8.82 लाख बच्चों की मौत हुई. नाइजीरिया में यह आंकड़ा 8.66 लाख और पाकिस्तान में 4.09 लाख था।
 
• 2018 में, देश के 28 दिनों से कम आयु के 5.49 लाख बच्चों की मृत्यु हुई।
 
• कुपोषण का उपयोग अब बच्चों को स्टंटिंग (उम्र के हिसाब से छोटा कद) और वेस्टिंग (लंबाई के हिसाब से कम वजन), आवश्यक विटामिन और खनिजों की कमियों के चलते 'छिपी हुई भूख' के साथ-साथ मोटापे के शिकार हुए बच्चों की बढ़ती संख्या के बारे में बताने के लिए किया जाना चाहिए।
 
• दक्षिण एशिया में 56 प्रतिशत बच्चों को कोई फल या सब्जी नहीं खिलाई जा रही थी।
 
• 1996 के बाद से, 2018 में खाद्यान्नों की प्रति व्यक्ति शुद्ध उपलब्धता 475 से बढ़कर 484 ग्राम / व्यक्ति / दिन हो गई है, जबकि दालों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 33 से बढ़कर 55 ग्राम / व्यक्ति / दिन हो गई है। हांलाकि चावल, गेहूं और अन्य अनाजों के उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है, लेकिन जनसंख्या वृद्धि, अनाज के गलने-सड़ने और नुकसान होने और निर्यात के कारण उनकी प्रति व्यक्ति शुद्ध उपलब्धता समान स्तर पर नहीं बढ़ी है।
 
• बच्चों में कुपोषण के कई प्रकारों की व्यापकता: कुपोषण को तीन तरीकों से देखा जाता है: स्टंटिंग, वेस्टिंग और अंडरवेट. NFHS-4 के विश्लेषण से पता चलता है कि पांच वर्ष से कम आयु के 6.4 प्रतिशत बच्चे स्टंटिंग, वेस्टिंग और अंडरवेट का शिकार हैं, जबकि 18.1 प्रतिशत बच्चे स्टंटिंग और अंडरवेट का शिकार हैं, और 7.9 प्रतिशत बच्चे दोनों ही वेस्टिंग और अंडरवेट का शिकार हैं. यह विश्लेषण सबसे कमजोर वर्ग की पहचान करने में मदद करता है जहां बच्चे मैक्रोन्यूट्रिएंट कुपोषण के कई रूपों से पीड़ित हैं।

• देश के ग्रामीण अंचल में साल 1993-94 में प्रति दिन प्रतिव्यक्ति औसत कैलोरी उपभोग की मात्रा २१५३ किलो कैलोरी थी जो साल २००४-०५ में घटकर २०४७ किलो कैलोरी हो गई। इस तरह कुल १०६ किलो कैलोरी की कमी आई।

• भारत के ग्रामीण अंचल में तकरीबन ६६ फीसदी आबादी प्रति दिन २७०० किलो कालोरी से कम का उपभोग करती है।

• साल १९९३-९४ में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति प्रोटीन उपभोग की मात्रा का औसत ६०.२ ग्राम था जो साल २००४-०५ में घटकर ५७ ग्राम हो गया।

• ग्रामीण अंचलों में वसा का उपभोग(४४ ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन) शहरी अंचल (५८.२ ग्राम) की तुलना में कहीं कम होता है।

• वैश्विक स्तर पर देखें तो औसत से कम वजन के बच्चों की तादाद भारत में सर्वाधिक है। 

• उम्र के हिसाब से कम अपेक्षाकृत कम लंबाई के बच्चों की तादाद(एनएफएचएस-३,२००५-०६) (३ साल से कम आयु वर्ग में)  सबसे ज्यादा उत्तरप्रदेश( ४६ फीसदी) है। इसके बाद इस मामले में छत्तीसगढ(४५.४ फीसदी) और गुजरात(४२.४ फीसदी) का नंबर है।

• मानव विकास सूचकांक पर बेहतर माना जाने वाला राज्य पंजाब भी ग्लोबल हंगर इंडेक्स द्वारा सूचीबद्ध ३३ अन्य विकासशील देशों की तुलना में दर्जे के हिसाब से कहीं नीचे है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स को पैमाना माने तो बिहार और झारखंड जैसे राज्य इस कसौटी पर जिम्बाब्वे और हैती से नीचे आयेंगे और मध्यप्रदेश इथोपिया तथा चाड के बीच कहीं मुकाम पाएगा। 
 
  • चिल्ड्रन, फूड एंड न्यूट्रीशन: ग्रोइंग वेल इन अ चेंजिंग वर्ल्ड’ (अक्टूबर, 2019 में जारी) 
  • फूड एंड न्यूट्रिशन सिक्योरिटी एनालिसिस, इंडिया 2019
  • भारत: व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण 2016-2018 (अक्टूबर 2019 में जारी) (Comprehensive National Nutrition Survey 2016-2018)
  • भुखमरी और कुपोषण की दशा पर केंद्रित अर्बन हंगामा( Urban HUNGaMA) रिपोर्ट
  • नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-4 के आंकड़ों के अनुसार भारत में स्टटिंग और वेस्टिंग के शिकार बच्चों की संख्या
  • नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे- 4 के नये तथ्य
  • IFPRI द्वारा प्रस्तुत 2015 ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट: एक्शन एंड अकाउंटबिलिटी टू एडवांस न्यूट्रीशन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट
  • पब्लिक अकाऊंटस् कमिटी (2014-15) रिपोर्ट ऑन इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट सर्विसेज
  • ग्लोबल फूड पॉलिसी रिपोर्ट 2014-15
  • ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट 2014
  • इम्प्रूविंग चाइल्ड न्यूट्रीशन: द एचीवेवल इम्पीरेटिव फॉर ग्लोबव प्रोग्रेस (अप्रैल, 2013)
  • द न्यूट्रीशन बैरोमीटर: गॉजिंग नेशनल रेस्पांसेज टू अंडरन्यूट्रीशन (2012)
  • अ लाईफ फ्री फ्राम हंगर- टैकलिंग चाईल्ड मालन्यट्रिशन(2012)
  • न्यूट्रीशनल इनटेक इन इंडिया: 2004-2005, (एनएसएस 61 वां दौर का आकलन)
  • वर्ल्ड बैंक के आकलन के मुताबिक
  • नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-३

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