न्यायपालिका में लैंगिक असमानता चिंताजनक: SC में 33 में सिर्फ 4 महिला जज, HCs में 627 में केवल 66

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published Published on Oct 13, 2021   modified Modified on Oct 13, 2021

-द प्रिंट,

पिछले महीने, भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने भारतीय न्यायपालिका में महिलाओं की बेहद कम नुमाइंदगी पर खेद व्यक्त किया. सीजेआई सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, जिसमें सुप्रीम कोर्ट में हाल में नियुक्त किए गए नौ जजों का अभिनंदन किया गया, जिनमें तीन महिलाएं थीं.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अब समय है कि न्यायपालिका में, 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएं, क्योंकि ये कोई उपकार नहीं, बल्कि
नका अधिकार है
. न्यायपालिका में तिरछे लिंग अनुपात पर रोशनी डालने के लिए, उन्होंने आंकड़े साझा किए और कहा कि देश में, निचली अदालतों में केवल 30 प्रतिशत महिला जज हैं, जबकि उच्च न्यायालयों में ये प्रतिशत 11.5 है.

न्यायमूर्तियों इंदिरा बनर्जी, हिमा कोहली, बीवी नागारत्ना और बेला त्रिवेदी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, कि अब शीर्ष अदालत में 33 में से चार जज महिलाएं हैं. बाद की तीन जजों ने 31 अगस्त को शपथ ली, जिससे सुप्रीम कोर्ट के अब तक के इतिहास में, महिला जजों की संख्या सबसे अधिक हो गई.

उसी आयोजन में, सीनियर एडवोकेट किरन सूरी ने महिला वकीलों की ख़ुशी को एक लाइन में समेटते हुए कहा- ‘एक, दो, तीन, चार, ये दिल मांगे मोर’- और सीजेआई से अनुरोध किया कि सभी 25 उच्च न्यायालयों में, जजों की भर्ती के लिए और अधिक महिलाओं के नाम की सिफारिश करें.

जस्टिस नागारत्ना की नियुक्ति को विशेष रूप से, ऐतिहासिक महत्व का माना जा रहा है, क्योंकि 2027 में उनके भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना है, भले ही वो केवल 40 दिन की छोटी सी अवधि के लिए हो. उन्होंने 2008 में भी इतिहास रचा था, जब वो बार से आने वाली पहली महिला वकील बनीं, जिन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट में जज का पद संभाला.

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


भद्रा सिंहा व तुषार कोहली, https://hindi.theprint.in/india/alarming-gender-disparity-in-judiciary-4-women-judges-out-of-33-in-sc-66-out-of-627-in-hcs/244467/


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