कानपुर: सिमट रहा चमड़ा कारोबार, निर्यात में गिरावट, रोजगार पर संकट
इंडियास्पेंड, 16 नवम्बर “घर चलाना मुश्किल हो गया है। महीने में 12-13 दिन ही काम मिलता है। एक समय था जब महीने भर टेनरियां चलती थी। लेकिन पिछले एक-दो सालों में काफी कुछ बदल गया। बराबर काम ना मिलने की वजह से बच्चों की पढ़ाई रुक गई। सरकार की भी तरफ से कोई मदद नही मिल रही। मालिक से पूछो तो वे कहते हैं कि जब टेनरी चलेगी ही नहीं तो हम मजदूरों को बराबर काम कैसे देंगे।” अब्दुल समद बात खत्म करते-करते एक दम से मायूस हो जाते हैं। लखनऊ से लगभग 90 किलोमीटर दूर कानपुर के जाजमऊ की एक टेनरी में मजदूरी करने वाले अब्दुल समद उन हजारों लोगों में से एक हैं जिनकी रोजी-रोटी चमड़ा उद्योग से चलती है। पूरी दुनिया में मशहूर कानपुर का चमड़ा उद्योग इन दिनों उतार-चढ़ाव के बीच गुजर रहा है। प्रदूषण, कॉमन ट्रीटमेंट प्लांट और एनजीटी की सख्ती के कारण वर्तमान समय में टेनरियां अपनी 50 फीसदी क्षमता पर ही काम रही हैं। टेनरियों में सुचारू रूप से काम ना होने के कारण उत्पादन में कमी आई है। लगातर काम ना होने के चलते ऑर्डर्स में कमी आई है और चमड़े के उत्पादों के निर्यात में गिरावट आई है। इसका प्रभाव उद्योग से जुड़े लोगों पर पड़ रहा है और उनकी आय भी प्रभावित हो रही है। कानपुर में चमड़े का कारोबार धीरे-धीरे कम हो रहा है। जाजमऊ स्थित चमड़ा उद्योग के कई संगठनों ने दावा किया कि पहले यहां लगभग 400 टेनरियां थीं लेकिन अब 190 बची हैं। ऐसे में उत्पादन में भारी गिरावट आई है। चर्म निर्यात परिषद से मिले आंकड़ों अनुसार चमड़े के निर्यात में पिछली तिमाही की तुलना में इस तिमाही सैडलरी 27.76%, लेदर फुटवियर 12.26 % जबकि कुल लेदर उत्पादों पर 9.84% की गिरावट आई है। पूरी खबर- इंडियास्पेंड |
इंडियास्पेंड, 16 नवम्बर https://indiaspendhindi.com/employment/kanpur-leather-business-shrinking-decline-in-exports-crisis-in-employment-880886
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