यूपीए के एक दशक के दागदार शासन के बाद हमने शुरुआत की थी, तब से लेकर आज दुनिया की सबसे तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्थाओं में एक गिने जाने तक, यानी एनडीए-दो के ढाई साल के शासनकाल में भारत की तरक्की की कहानी कई परिवर्तनकारी कदमों के सहारे आगे बढ़ी है। इन कदमों ने न सिर्फ देश की छवि दुनिया भर में निखारी, बल्कि देश के नागरिकों के जीवन-स्तर में भी सुधार किया है, खासकर हाशिये के लोगों की जिंदगी में। अभी-अभी हमने नए साल में कदम रखा है। यह एनडीए-दो के पूर्वाद्र्ध के प्रति संतोष जताते हुए भविष्य का खाका खींचने का सबसे सही समय है।
प्रधानमंत्री की कुरसी संभालने के ठीक पहले दिन से गरीबों, किसानों, महिलाओं, मजदूरों, छोटे व्यापारियों व समाज के संवेदनशील तबकों का कल्याण प्रधानमंत्री के एजेंडे में सबसे ऊपर रहा है, मगर काला धन और भ्रष्टाचार देश के विकास में सबसे बड़े बाधक बने हुए थे। जाहिर है, समाज के सबसे संवेदनशील वर्ग के जीवन-स्तर को ऊपर उठाने के लिए प्रधानमंत्री ने काले धन और भ्रष्टाचार की समस्याओं के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया। इस लड़ाई की निरंतरता विदेश में जमा काले धन की पड़ताल के लिए एसआईटी के गठन से लेकर 500 और 1,000 रुपये के नोटों को प्रचलन से बाहर करने में देखी जा सकती है। स्विट्जरलैंड समेत अनेक देशों के साथ समझौते व आय घोषित करने की योजना इसी कड़ी में हैं।
प्रधानमंत्री ने हाल ही में गरीबों, मध्य वर्ग के लोगों, किसानों, स्त्रियों व बुजुर्गों के लिए राहतकारी योजनाओं की जो घोषणा की है, वह बताती है कि नरेंद्र मोदी न केवल लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप कदम उठा रहे हैं, बल्कि एक भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने में भी सफल रहे हैं- और इसे इस दौर की सबसे बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के कुशासन से त्रस्त लोेगों ने एक निर्णायक बदलाव और उज्जवल भविष्य के लिए एनडीए-दो को चुना था। अब जब हमने अपने कार्यकाल का आधा सफर तय कर लिया है, तब इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि आज का भारत सबसे तेजी से प्रगति करने वाली अर्थव्यवस्था है व नोटबंदी के बाद के हालात भी आने वाले दिनों में सामान्य हो जाएंगे।
विदेश नीति को व्यावहारिक रूप देने के बाद प्रधानमंत्री ने अपनी पूरी ऊर्जा आर्थिक क्षेत्र में भारत की अपार क्षमताएं उभारने में लगाई। सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का फोकस न सिर्फ माइक्रो-स्तर पर अर्थव्यवस्था में सुधार करना रहा, बल्कि समाज के वंचित लोगों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिए जन-धन खाते, मुद्रा बैंक व बीमा योजनाएं शुरू की गईं। दरअसल, देश में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बावजूद वित्तीय समावेशन का मकसद हासिल न हो सका था। बीते 31 दिसंबर के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने बैंकों को यह निर्देश दिया कि वे अब अधिक सक्रिय भूमिका निभाएं और गरीबों, किसानों, औरतों, छोटे कारोबारियों व नए उद्यमियों को ज्यादा से ज्यादा कर्ज दें। अब तक कुछ सौ कंपनियां ही बड़े-बड़े कर्ज ले लेती थीं,पर प्रधानमंत्री के दिशा-निर्देश के बाद बैंकिंग प्रणाली की यह विकृति दूर होगी और बैंकों को छोटे कारोबारियों, किसानों व गरीबों को ज्यादा कर्ज देना होगा।
यूपीए सरकार से जिस हालत में हमें अर्थव्यवस्था मिली थी, उसे दुरुस्त करने के लिए एनडीए-दो की सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर-विकास के साथ-साथ कृषि, ग्रामीण-विकास, कौशल-विकास, उद्यमिता, बिजली, आवास व दूसरे तमाम क्षेत्रों में 71 से अधिक जन-केंद्रित और गरीबोन्मुखी कार्यक्रम शुरू किए या लागू किए। मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्वच्छ भारत ऐसे इनोवेटिव अभियान हैं, जो भारत की तरक्की की कहानी को नई शक्ल दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, मेक इन इंडिया के तहत सितंबर 2016 तक विभिन्न क्षेत्रों में 120 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया था। इसी तरह, रक्षा व रियल एस्टेट के क्षेत्र में निवेश पर जो सीमा लगी थी, उसे हटा लिया गया है और इससे निर्माण व रोजगार सृजन के क्षेत्र में काफी मदद मिल रही है।
नौकरियों के सृजन के लिहाज से स्किल इंडिया एनडीए-दो सरकार का काफी महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। इसका मकसद भारत की युवा आबादी का लाभ उठाना है, जो देश की कुल जनसंख्या का करीब 65 प्रतिशत है। इस मोर्चे पर पहले ही काफी प्रभावशाली नतीजे मिलने शुरू हो गए हैं। यह योजना देश में हुनरमंदों की एक ऐसी फौज खड़ी करना चाहती है, जो न केवल हमारे देश के विकास की गाथा रचे, बल्कि देश की जरूरतें भी पूरी करे। इस योजना को सरकार कितना अहम मान रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आजादी के बाद पहली बार इसके लिए एक मंत्रालय अलग से बनाया गया है। स्वच्छ भारत अभियान एक और बड़ी योजना है, जो वस्तुत: एक जन-मुहिम बन चुकी है। इसके तहत पूरे देश में तीन करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाए जा चुके हैं, जबकि 1.3 लाख से अधिक गांव व 480 शहर खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं।
जहां तक कृषि क्षेत्र की बात है, तो प्रधानमंत्री इस बात को लेकर प्रतिबद्ध हैं कि देश के किसानों को मौसम की अनिश्चितताओं का शिकार नहीं बनने दिया जाएगा। आने वाले वर्षों में ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि उनकी आमदनी दोगुनी हो सके। करीब तीन करोड़ 70 लाख किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दायरे में आ चुके हैं, जबकि 1.3 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंदर लाया गया है। किसानों के सशक्तीकरण की दिशा में ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट कार्यक्रम शुरू किया गया है। जैसे-जैसे ई-नैम मंच से कृषि मंडियां जुड़ती जाएंगी, किसानों को जबर्दस्त फायदा होगा। पिछले ढ़ाई साल की और भी कई बड़ी उपलब्धियां हैं। जैसे, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 40 लाख, 90 हजार मकानों का निर्माण और विभाज्य कोष से 42 फीसदी धनराशि राज्यों को हस्तांतरित किया जाना। यह सच्चे संघवाद की नजीर है। अब जब देश नए वर्ष में कदम रख चुका है, आशा है कि तमाम राज्य जीएसटी लागू करने में केंद्र का साथ देंगे, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था में यह व्यवस्था क्रांतिकारी सुधार लाने वाली है। आखिर में मैं प्रधानमंत्री के शब्दों में ही इसे समेटूंगा कि ‘अगर कोई मेरी सरकार के पिछले ढाई साल के कार्यक्रमों व उसकी प्राथमिकताओं का निष्पक्ष व वस्तुनिष्ठ आकलन करे, तो उसे स्पष्ट रूप से उनके मूल में गरीब, वंचित और हाशिये के लोगों की चिंता दिखेगी।'
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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